मैं क्यों नही जाने देना चाहती।।

“मेरा हाथ छोड़ दो, मैं जाना चाहता हूँ।” उसने कहा।

“नही, मैं नही छोड़ूंगी।” मैंने कहा।

“क्यों?” उसने पूछा।

“क्यो,” तुम पूछ रहे हो,” क्यो”?

क्योकि यह कोई आदेश नही है जो ‘तुम’ मुझे दे सकतें हो। तुम्हारा हाथ छोड़ना या नही छोड़ना, यह मेरी मर्जी है।

ऐसे कैसे तुम्हारा हाथ यू ही छोड़ दु?

मुझे पता है कि फिलहाल हालात बहुत मुश्किल हो चुके है। एक जगह पर बैठकर आराम करने का भी समय नही बचा है। इन हालातो का सामना करना बहुत मुश्किल है और मुझे यह भी पता है कि तुम मुझे इन मुश्किल हालातो से गुजरते हुए नही देख सकते हो। तुम मुझे दुखः नही पोहोचाना चाहते जो।

पर क्या तूम मेरे लिए, हमेशा मेरे पास नही थे? क्या तुम हर मुश्किल घड़ी मैं मेरे पास नही थे? जब मैं रोती थी, तब क्या तुम मेरे आँसू नही पोछते थे? क्या जब भी रोने के कारण मुझे सास लेने मैं तकलीफ होती थी, क्या तुम मेरी पीठ नही थपथपाते थे?

मैं कैसे उन सभी चीज़ों को भुलाकर तुमसे दूर चली जऊ? और तो और सिर्फ इस लिए की यह हालात सिर्फ तुम्हारी वजह से है?

ऐसे कैसे मैं तुम्हे इस मुश्किल समय में अकेले छोड़ सकती हूँ? ऐसे कैसे मैं तुमपे नज़र नही रख सकती हूं?

और तुम पूछते हो, “क्यों”। इसका जवाब बहुत ही आसान है। ऐसा इसलिए क्योकि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और मैं यूही तुम्हारा हाथ नही छोड़ सकती, मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ , भलेही मैं तुम्हारे जादा काम न आ सकु। मैं तुम्हारे पास ही रहूंगी। हमेशा तुम्हारे साथ।

आखिरकार, प्यार एक गुलाब की तरह होता है। अगर उसमे रंगबिरंगी और प्यारी पंखुड़ीयाँ होती है, तो उसमे काँटेदार और नुकीले काँटे भी तो होते है। पर सिर्फ उन काँटो के कारण हम उस गुलाब के फूल को निहारना बन्द नही करते हैं॥^_^

(Dedicated to मेरे मम्मी और पाप का प्यारा सा बंधन। धन्यवाद, मम्मी और पापा, हर मुश्किल वक़्त मैं एक दूसरे का हाथ पकड़े रहने के लिए। 🙂 )

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(credits to the owner of the gif.)

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